II भजन II
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
पतितो को पावन करते कृपानिधि,
पतितो को पावन करते कृपानिधि,
किए पाप है इस सुयश के सहारे,
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
अगर नाथ देखोगे…
हमारे लिए क्यों देरी किए हो,
हमारे लिए क्यों देरी किए हो,
गणिका अजामिल को पल में उबारे,
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे,
अगर नाथ देखोगे…
मान अगम है अपावन कुटिल है,
मान अगम है अपावन कुटिल है,
सबकुछ है लेकिन प्रभु हम तुम्हारे,
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे
अगर नाथ देखोगे…
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
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